भारत की जनता बदलाव चाहती थी और उसने चुनावों में बदलाव के पक्ष में निर्णायक ढंग से मत दिया. लेकिन कांग्रेस की जगह केन्द्र में आई संघ संचालित भाजपा सरकार क्या इस जनादेश का सम्मान करते हुए निर्णायक ढंग से ऐसा बदलाव चाहती है, जो आम जनता की जिंदगी बदल दें ?
वे कांग्रेस-मुक्त भारत चाहते हैं, कांग्रेस की सर्वनाशी नीतियों से मुक्त भारत नहीं ! असल में तो वे एक ' धार्मिक राष्ट्र ' चाहते है, साम्प्रदायिक दंगों-धार्मिक तनावों से मुक्त राष्ट्र नहीं !! वे एक ' हिन्दू भारत ' चाहते हैं, धर्मनिरपेक्ष हिन्दुस्तान नहीं !!! वे धर्मान्धता को बढ़ावा देने वाले ढोंगी साधुओं और अकर्मण्य शंकराचार्यों का भारत बनाना चाहते हैं, नानक-कबीर-रसखान-रैदास-आंबेडकर की ज्ञान की परम्परा को आगे बढ़ाने वाला भारत नहीं !!!!
वे ज्ञान और विवेक की हर बात पर पिघला सीसा डालकर हमारे संविधान को ही मनुस्मृति में बदलने के खेल में लगे हैं. वे 21वीं सदी का सबल और आत्मनिर्भर भारत नहीं, उस विकलांग पौराणिक भारत का निर्माण करना चाहते है, जहां अंधे-बहरे-गूंगे अवर्णों के कन्धों पर लंगड़े सवर्ण सवारी कर मजे लूट सके.
इसीलिए डॉ. आंबेडकरकी यह चेतावनी बहुत मौजूं है --" अगर इस देश में हिन्दू राज स्थापित होता है, तो यह एक बहुत बड़ी आपदा होगी. हिन्दू चाहे कुछ भी कहे, हिन्दू धर्म स्वतंत्रता का दुश्मन है. हिन्दू राज को किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए."
तो उनका भारत पूंजीपतियों के लिए, पूंजीपतियों द्वारा शासित भारत है. गरीबों के लिए, मेहनतकशों द्वारा शासित जाति-मुक्त, धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी भारत के सपने से ही उनकी चड्डीयां गीली होने लगती है.
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