पूरा मीडिया 'मोदीमय' है. ऐसे समय कोई सर्वे यह कहे कि मोदी की 'लोकप्रियता' तेजी से घट रही है, तो उस सर्वे का मीडिया की नज़रों से ओझल रहना ही अवश्यंभावी है. ठीक ऐसा ही लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के साथ हुआ है.
लोकनीति-सीएसडीएस अपने सर्वे के जरिये एक विश्वसनीय चुनावी आंकलन करने के लिए प्रसिद्ध है. इस वर्ष अप्रैल-मई के मध्य उसने जो सर्वे किया है, उसके अनुसार आज भाजपा-नीत राजग गठबंधन ठीक उसी प्रकार की 'अलोकप्रियता' का सामना कर रहा है, जैसी जुलाई 2013 में कांग्रेस-नीत संप्रग गठबंधन कर रहा था. जुलाई 2013 के बाद कांग्रेस की अलोकप्रियता तेजी से बढ़ी थी और उसे अप्रैल 2014 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था. लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के अनुसार आज भाजपा की स्थिति ऐसी ही है. सर्वे में शामिल 47% लोग अब मोदी को दुबारा मौका नहीं देना चाहते और न केवल दलित-आदिवासियों और मुस्लिम-ईसाई-सिख अल्पसंख्यक समुदायों के बीच, बल्कि हिन्दुओं के बीच भी भाजपा का समर्थन तेजी से घट रहा है. जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं, जीएसटी एक प्रमुख मुद्दा बनकर सामने आ रहा है और इसके खिलाफ आम जनता की नाराजगी लगातार बढ़ रही है. 40% लोग आज जीएसटी के पक्ष में नहीं है. 60% से ज्यादा लोग यह मानते हैं कि यह सरकार 'भ्रष्ट' है.
लेकिन जो लोग भारतीय राजनीति को 'व्यक्ति-आधारित चमत्कार' के रूप में देखते हैं, उनके लिए भी यह सर्वे कोई राहत नहीं देता. सर्वे के अनुसार, आज नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी को पसंद करने वाले लोगों की तादाद बराबर-बराबर 43% है. लेकिन इस बीच वे 30% लोग, जो पहले राहुल के विरोधी थे, आज उनके समर्थक है. 35% लोग, जो पहले मोदी के समर्थक थे, आज उनके विरोधी है. इस प्रकार, मोदी का जन समर्थन तेजी से घट रहा है और राहुल बढ़त बना रहे हैं.
सर्वे के अनुसार, आज मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास 49% वोट है, तो भाजपा के पास महज 34% और आगामी विधानसभा चुनावों में उसकी निर्णायक हार तय है. इसी प्रकार, राजस्थान में भाजपा पर कांग्रेस 5% ज्यादा वोटों की बढ़त बनाए हुए हैं और उसके पास 44% वोट हैं. उत्तरप्रदेश में भी राजग गठबंधन के पास 35% वोट हैं, तो सपा-बसपा –रालोद जैसे क्षेत्रीय गठबंधन के पास 55% वोट हैं.
'The Quint' में राघव बहल ने इस सर्वे की तुलना इस वर्ष अभी तक हुए 10 लोकसभा और 21 विधानसभा उपचुनावों के नतीजों से की है और लोकनीति के सर्वे को 'विश्वसनीयता' प्रदान की है. ये चुनाव जनवरी-मई के मध्य हुए थे और 15 राज्यों के 1.25 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने इसमें 19 से ज्यादा राजनैतिक पार्टियों के लिए वोटिंग किया था. इन उपचुनावों में भाजपा गठबंधन ने केवल दो लोकसभा और एक विधानसभा सीट ही जीती हैं और उसे 36% वोट मिले हैं; तो वहीँ कांग्रेस गठबंधन को 32% तथा सपा-बसपा गठबंधन को 13.3% वोट मिले हैं. इस प्रकार आज देश के पैमाने पर कांग्रेस के पास 25% वोट हैं, तो भाजपा के खिलाफ उभर रहे 'नए गठबंधन' का संयुक्त मत-प्रतिशत 42% से ऊपर हो रहा है, जो किसी भी गठबंधन को केन्द्रीय सत्ता में पहुंचा सकता है. जिस प्रकार भाजपा गठबंधन की लोकप्रियता गिर रही है और उसके पास आम जनता को लुभाने के लिए और कोई मुद्दा बचा नहीं दिखता, भाजपा गठबंधन के सत्ता से बाहर होने की संभावना को ही ज्यादा बल मिलता है.
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