Friday 2 December 2016

' गांधीजी ने हमें आज़ादी दी, हमने उन्हें क्या दिया ?" -- फेंकू महाराज.
अरे भूल गए मोदीजी ? !!
पूरा देश उनको ' राष्ट्रपिता ' मानता है...सिवा संघी गिरोह के.
पूरा देश उनके चरणों में श्रद्धा-सुमन अर्पित करता है...तुम उनकी समाधि पर जूते पहनकर चढ़ते हो.
पूरा देश उनको प्यार और आदर देता है...संघी गिरोह उनको गोलियां-गालियाँ देता है.
पूरा देश उनको हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक मानता है...तुम लोग उन्हें देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराते हो.
उन्होंने जातिभेद और अस्पृश्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ी...तुम वर्ण-व्यवस्था को स्थापित करना चाहते हो.
उन्होंने साम्प्रदायिक सद्भाव को फैलाया...तुम लव जिहाद फैलाते हो.
उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्यवाद को चुनौती दी, सफल लड़ाई लड़ी....

तुमने अंग्रेजों की मुखबिरी की और आज भी अमेरिकी साम्राज्यवाद के तलुए चाट रहे हो.
पूरी देश-दुनियां आज भी गांधीजी की विचारधारा से जुड़ाव महसूस करती है...

तुम इस विचारधारा को कहीं गहरे दफना देना चाहते हो.
....और क्या-क्या गिनाएं कि गांधीजी को देश ने क्या दिया...और तुमने और तुम्हारे संघी गिरोह ने क्या दिया ?
लेकिन साफ़ है कि अमेरिका में गांधीजी का नाम लेना, आज़ादी के आन्दोलन में उनका स्मरण करना, स्वच्छता अभियान का प्रणेता बताना तुम्हारी मजबूरी थी. लेकिन गांधीजी का नाम जपने से तुम लोगों के पाप धुलने वाले नहीं है. तुम्हारे जेहन में जो ' गोलवरकरीय गोबर ' भरा है, वो तुम लोगों को नस्लीय भेदभाव और धार्मिक हिन्दू कट्टरता से ऊपर सोचने नहीं देता. न, तुममें इतनी हिम्मत नहीं कि धर्म-निरपेक्ष भारत के निर्माण के उनके योगदान का जिक्र कर सको और न ही इतना साहस कि उनकी साम्प्रदायिक सद्भाव की विरासत को याद कर सको. भगत सिंह को भी तुम ' सरदारों ' के चश्में से ही देख पाए, उनकी क्रान्तिजीविता के आधार पर नहीं.
संघी गिरोह के अंध-भक्तों, आज गांधीजी के बारे में मोदी के विश्लेषण के बारे में अपने उच्च विचारों से हमें अवगत करायें. यदि मोदी सही है, तो अपने संघी धर्म-ग्रंथों की होली जलाइये...और यदि नहीं, तो क्या मोदी को आडवाणी और जसवंतसिंह जैसी ही सजा देने की औकात तुममें बची है ?
....वरना तुम दोनों का ढकोसला तो पूरी देश-दुनियां के सामने है...इतिहास तुम दोनों पर केवल हंसेगा और थू-थू करेगा. सब जानते हैं कि सत्ता में बने रहने और धनकुबेरों की सेवा करने के लिए क्या-क्या ढकोसला नहीं करना पड़ता ?

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