Sunday 9 August 2015

संघर्ष हमारा, हमको मुबारक

रेल के किराये बढ़ गए, तो क्या?
.....मैं कौन-सा रोज़-रोज़ रेल में सफ़र करता हूं.
डीजल के भाव बढ़ गए, तो क्या?
.....मैं कहां रोज़ बस में चलता हूं.
प्याज़ के भाव बढ़ गए. तो क्या?
.....मैं तो रोटी के साथ प्याज़ खाता ही नहीं.
आलू की कीमत बढ़ गई तो क्या?
.....हर सब्जी में मुझे आलू तो पसंद नहीं.
गैस के रेट बढ़ गए, तो क्या?
.....सिलिंडर क्या मैं रोज़ खरीदता हूं?
पेट्रोल के रेट बढ़ गए, तो क्या?
.....मेरे पास कौन-सी गाड़ी है.
चावल-गेहूं-दाल के भाव बढ़ गए, तो क्या?
.....कौन-सा अभी भी मैं भरपेट खाता हूं?
थोड़ी-थोड़ी चीजों के थोड़े-थोड़े भाव बढ़ गए, तो क्या?
.....रोज़-रोज़ तो मैं कमाता भी तो हूं.
कांग्रेस राज में 20 रूपये रोज़ कमाता था.
मोदी-भाजपा के राज में भी 20 रूपये रोज़ कमाता हूं.
महंगाई बढे,तो बढे; मुझे क्या?
मुझ नंगे को मोदी क्या निचोड़ेगा?
तेरी महंगाई तुझे मुबारक
महंगी मोदी सरकार तुम्हे मुबारक
हे मोदियाबिंदों, ये लफाडू तुम्हें मुबारक
हमको हमारी भूख मुबारक
संघर्ष हमारा, हमको मुबारक

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