Sunday 9 August 2015

जवाब दें संघी गिरोह....


सब जानते हैं कि पेट्रोलियम पदार्थों--पेट्रोल-डीजल-मिट्टी तेल-गैस की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढती हैं और आम मेहनतकश जनता का जीवन-स्तर गिरता है.इसलिए इनकी कीमतें कम होती हैं, तो यह स्वागतयोग्य है.
लेकिन इससे पेट्रोलियम के संबंध में सरकारी नीतियों का खुलासा नहीं होता. सवाल बड़े ज्वलंत हैं, जिनका जवाब संघी गिरोह संचालित मोदी सरकार को देना चाहिए :
1. कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रही है. पिछले 17 सालों में यह सबसे कम कीमत है. यदि हमारे देश में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों का सीधा संबंध अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से है (जैसा कांग्रेस-भाजपा दोनों तर्क देती है), तो इनकी कीमतें भी हमारे देश में 17 वर्ष पूर्व की दरों पर होना चाहिए. लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ ?
2. यदि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों से ही पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें तय होती हैं, तो कई विकसित और विकासशील देशों में इनकी कीमतें हमारे देश से कम है. ऐसा क्यों ?
3. भारत सरकार कच्चे तेल का आयात करके शोधन करती है. फिर देश में उत्पादित पेट्रोल-डीजल-गैस-मिट्टी तेल की कीमतें घरेलू लागत मूल्य के आधार पर निर्धारित होनी चाहिए, न कि अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के आधार पर. लेकिन ऐसा क्यों नहीं हो रहा ?
4. सभी पेट्रोलियम कंपनियों की बैलेंस शीट बताती हैं कि वे हजारों करोड़ रुपयों के मुनाफे पर चल रही हैं. लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों के मामले में हमेशा अंडर-रिकवरी का रोना रोती हैं. अर्थशास्त्र के अनुसार, अंडर-रिकवरी आभासी घाटा होता है, न कि वास्तविक घाटा. फिर आभासी घाटे का बहाना इनकी मूल्य वृद्धि के लिए कहां तक जायज है ?
5. जिन कीमतों पर हमारे देश में पेट्रोल-डीजल-गैस-मिट्टी तेल बिकती हैं, उन पर 50% से ज्यादा तो सरकारी टैक्स ही होता है. यदि ये टैक्स कम कर दिए जाएँ, तो वर्त्तमान मूल्य से आधी कीमत पर आम जनता को ये चीज़ें मिल सकती हैं. इससे महंगाई पर भी काबू पाया जा सकता है. लेकिन ये टैक्स कम करने के लिए न मौनी बाबा राजी थे, न फेंकू महाराज राजी हैं. ऐसा क्यों ?
6. अंबानी विदेशों में 2 डॉलर प्रति इकाई की दर से गैस निकलने का काम करता है, लेकिन भारत में कई गुना ज्यादा दर वसूलता है. पहले कांग्रेस सरकार ने अंबानी के लिए गैस निकालने की दरों में बढ़ोतरी की, फिर फेंकू सरकार ने. यदि आम जनता को राहत देने, सब्सिडी के लिए सरकार का खजाना खाली है, तो अंबानी को लूटाने के लिए खजाने में पैसा कहां से आता है ? अंबानी की तिजोरी भरने के लिए आम जनता अपने पेट पर बेल्ट क्यों बांधे ?
आशा है, मोदी-भक्त गाली-गलौज नहीं करेंगे. इन सवालों पर तर्कपूर्ण बात रखेंगे, ताकि सार्थक बहस हो सकें.

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