Sunday 9 August 2015

हजारों मुख वाली....

ये संघी गिरोह भी बड़ी अजीब चीज़ हैं न, हमारे पुरानों में वर्णित शेषनाग जैसे...!! इसके हर मुख की वाणी अलग-अलग है, ताकि देश की आम जनता को भरमाकर रखा जा सकें. अलग-अलग कथनी, लेकिन करनी एक और उद्देश्य साझा.
अब स्वदेशी जागरण मंच को ही देख लो. जयपुर में उन्होंने ' स्वदेशी संगम ' आयोजित किया और वामपंथियों-जैसे ही ' मेक इन इंडिया ' पर सवाल उठा दिया. कहा कि विदेशी पूंजी को बढ़ावा देने से देश की आर्थिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी. उन्होंने यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि विदेश से काला धन जब आएगा, तब आएगा, लेकिन देश में ही काले धन का जो पहाड़ खड़ा है, उसे निकालने के लिए क्या हो रहा है?
एक दूसरा मुख है भारतीय मजदूर संघ, जो संघी गिरोह का ही हिस्सा है, लेकिन इस सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष में दूसरी ट्रेड यूनियनों के साथ नारेबाजी कर रहा है और अपनी ही ' राष्ट्रभक्त ' सरकारों को कोस रहा है.
इधर इस गिरोह के सरदार मोहन भागवत मोदी की प्रशंसा कर रहे हैं और उनकी आलोचना बंद करने को कह रहे हैं, ताकि देश के विकास में कोई बाधा पैदा न हो.
अब आप ही बताइये कि हम किसे सही मानें? साफ़ है कि करनी तो एक ही है --वैश्वीकरण और निजीकरण की नीतियों को लागू करो, पूंजीपतियों की तिजोरियों को भरो, गरीब जनता को और ज्यादा निचोड़ो. लेकिन इन नीतियों के खिलाफ जो जन-असंतोष पैदा हो, उसे वैकल्पिक नीतियों की मांग पर आधारित जनसंघर्षों के पीछे लामबंद न होने दो.
अब फेंकू महाराज के अंध-भक्त बताएं कि मोदी और भागवत सही है या स्वदेशी जागरण मंच और बीएमएस ? क्या वे इन दोनों संगठनों को भी ' राष्ट्रविरोधी और छद्म-धर्मनिरपेक्ष' बताएँगे? संघी गिरोह इस बारे में देश की जनता का कुछ मार्गदर्शन करेगा !!??

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