Sunday 9 August 2015

कथा अनंता...

इसे ही कहते हैं शब्दों और भाषा से खिलवाड़ ! यदि हिंदुस्तान में रहने वाले उनके लिए 'हिन्दुस्तानी ' नहीं, ' हिन्दू ' हैं, तो निश्चित ही भारत में रहने वालों को वे ' भारतीय ' नहीं, 'भार ' ही मानते हैं. इसीलिए वे तमाम दूसरे धर्मों को अपनी लाठियों और तलवारों के बल पर हिन्दू धर्म और हिन्दुत्व में ' समाहित ' करने की धमकी दे रहे हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी तक इस देश में जो ' अनेकता में एकता ' के दर्शन होते हैं,वे उसे तोड़ना चाहते हैं. वे इस देश की सांस्कृतिक विविधता तथा बहुलतामूलक समाज के ही खिलाफ हैं.
संघी गिरोह का साम्प्रदायिक एजेंडा अब खुलकर सामने आ रहा है. अटल की तरह मोदी भी केवल ' मुखौटा ' है.इस एजेंडा को कभी दबे-छिपे और कभी खुले रूप से आगे बढ़ाने के लिए.
लाल किले से मोदी का भाषण एक ' मुखौटे ' का भाषण था, आम जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए....इस से मोदी का साम्प्रदायिक-पूंजीपतिपरस्त चेहरा नहीं बदलने वाला. इस सरकार का असली चेहरा तो भागवत महाराज है, जो हिन्दुत्व का डंडा-झंडा लिए देश भर में घूम रहे हैं और धर्म-निरपेक्ष भारत को ' हिन्दू राष्ट्र ' बनाने के कुत्सित मुहिम में लगे हुए हैं...पूरे सरकारी समर्थन के साथ.

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