Sunday 9 August 2015

ये क्या गड़बड़झाला है ?

कोई विद्वत सुधिजन मुझे यह स्पष्ट करेगा कि बेरोज़गारी की दर और रोज़गार के अवसरों में क्या संबंध होता है तथा रोज़गार के अवसरों में कमी के बावजूद बेरोज़गारी की दर कम कैसे हो सकती है ?
मामला यह है कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का दावा है कि पिछले पांच सालों में उसने एक लाख लोगों को नौकरियां दी है और छत्तीसगढ़ में बेरोज़गारी की दर देश में सबसे कम प्रति एक हज़ार व्यक्ति पर केवल 14 है !
जबकि इसी सरकार के आंकड़े ये बता रहे हैं कि 210-215 लाख की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में रोज़गार दफ्तरों में आज 15 लाख से ज्यादा बेरोजगारों के नाम पंजीकृत है, जबकि रोज़गार कार्यालयों के माध्यम से 2006-13 के बीच केवल 13249 लोगों को रोज़गार मिला है. लगभग इतनी ही बेरोज़गारी गैर-पंजीकृत युवाओं में होगी.
संसद में पेश आंकड़ों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में औद्योगिक उत्पादन 16.9% बढ़ा है, जबकि रोज़गार के अवसर घटकर प्रति हज़ार व्यक्तियों पर केवल 48 रह गए है. उत्पादन के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2010-11 में औसतन रोज़गार के अवसर प्रति हजार व्यक्तियों पर 126 थे.
रोज़गार मेलों के माध्यम से रोज़गार उपलब्ध करवाने के सरकारी दावों की पोल भी खुल गई है. जहां 2010-11 में इन मेलों के माध्यम से 12179 लोगों को रोज़गार उपलब्ध करवाया गया था, तो 2013-14 में गिरकर केवल 3000 ही रह गया था. स्थिति यह है कि 2010-14 के बीच हुए चार रोज़गार मेलों के माध्यम से केवल 26611 लोगों को ही काम मिला, जबकि रिक्त पदों की संख्या 81326 थी और आवेदकों की संख्या 3.54 लाख !!
तो मित्रों,
---लगभग 30 लाख की बेरोज़गारी
---सरकारी और निजी क्षेत्र में हजारों पद खाली
---राष्ट्रीय औसत की तुलना में रोज़गार के अवसरों की केवल एक-तिहाई उपलब्धता
---फिर भी सबसे कम बेरोज़गारी दर और उत्पादन में बढ़ोतरी !!!
ये क्या गड़बड़झाला है ?

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