Sunday 9 August 2015

संघी गिरोह का राष्ट्रवाद यही है कि....

वाह जी, वाह...अंबानी की गैस की कीमत बढाने में एक दिन की भी देर नहीं लगी, लेकिन किसानों के मामले में?
समर्थन मूल्य में केवल 50 रूपये की बढ़ोतरी....और ऊपर से फरमान ये कि बोनस के रूप में सब्सिडी देकर राज्य सरकारें अपने खजाने पर बोझ न बढ़ाये, वरना एफ सी आई खरीदी बंद. हो चुकी बहुत चापलूसी किसानों की, अब 5 साल इसकी जरूरत नहीं.
विधानसभा चुनाव से पहले तब की कांग्रेस सरकार से धान का समर्थन मूल्य 2100 रूपये प्रति क्विंटल की मांग करने वाली भाजपा और रमन सिंह की घिग्घी बंधी हुई है और अब मोदी को कांपते हाथों से भी चिट्ठी तक नहीं लिख पा रहे हैं.
लेकिन इस जन-विरोधी, किसान-विरोधी फैसले के दुष्परिणामों को भुगतना देश को ही है. इस फैसले से कृषि के क्षेत्र में और गिरावट आएगी, क्योंकि लाभकारी मूल्य न मिलने और बाज़ार में खरीदी सुनिश्चित न होने के कारण उत्पादन में गिरावट आएगी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए अनाज की उपलब्धता में कमी और कटौती होगी, आम नागरिकों को मुनाफाखोर बाज़ार में धकेला जायेगा,,,और महंगाई को नए पर लगेंगे.
अनाज की कमी और महंगाई से निपटने के नाम पर फिर बड़े पैमाने पर खाद्यान्न का आयात किया जायेगा और देशी-विदेशी अनाज मगरमच्छों को पाला-पोसा जायेगा.
संघी गिरोह का राष्ट्रवाद यही है कि हमारे देश की आम जनता और किसान बड़े पैमाने पर आत्म-हत्या करें और अपनी भूमि इन पूजीपतियों को सौंप दे....खबरदार, किसी ने चूं-चपड़ की तो!!!!

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