Saturday 25 July 2015

3 लाख नहीं प्रभो, मुझे 40 हजार ही दिलवा दो...अपना 5 हजार कमीशन काटकर


काले धन के मामले में कोई भी सटीक अनुमान सरकार के पास नहीं हैं. वर्ष 2011 में बतौर विपक्षी नेता, लालकृष्ण अडवाणी ने कहा था कि विदेशों में 466 अरब डॉलर (लगभग 28000 अरब रूपये) का काला धन है. वर्ष 2006 की स्विस बैंकिंग एसोसिएशन की रिपोर्ट तो इससे तिगुने से अधिक 1460 अरब डॉलर (लगभग 88000 करोड़ रूपये) की है. फाइनेंसियल इंटीग्रिटी की वर्ष 2014 की रिपोर्ट के अनुसार 2002-11 के बीच 9 सालों में 344 अरब डॉलर का काला धन विदेशों में जमा हुआ. याने लगभग 43 अरब डॉलर (2500 अरब रूपये) हर साल काले धन के रूप में बाहर गया. मोदी-रामदेव के दावे को मान लें, तो 4 लाख अरब रूपये का काला धन विदेशों में है, जिसे लाकर वे हरेक नागरिक को 3-3 लाख रूपये बांटना चाह रहे हैं. लेकिन इस रास्ते में कितनी कठिनाईयां हैं, सब जानते हैं. बाहर का काला धन इस देश में लाना तो एवेरेस्ट की चढ़ाई चढ़ने जैसा है, जिस पर मनमोहन सिंह तो नहीं ही चढ़ पाए, लेकिन इस चढ़ाई को मोदी लगातार ललकार रहे हैं. लेकिन कब यह चढ़ाई पूरी होगी और कब लोगों को पैसे मिलेंगे, न मोदी बता रहे हैं, न मोदी-भक्त.
वर्ल्ड बैंक और आइएमएफ का ताज़ा-ताज़ा आंकलन है कि भारत में हर साल 600 ख़रब रुपयों का काला धन पैदा होता है, जिसका केवल 10% ही विदेशों में जमा किया जाता है. 540 ख़रब रुपयों का काला धन तो इस देश में ही रहता है. तो हे प्रभु नमो, नहीं चाहिए मुझे विदेशी काला धन, नहीं चाहिए 3 लाख का लालीपाप. न तो काला धन आएगा, न मेरे अकाउंट का पेट भरेगा. प्रभु, बस इतना कर दो कि तुम्हारे राज में इस देश में 540 खरब रूपये का जो काला धन इस साल पैदा हो रहा है, उसमे 45000 रुपयों का मेरा हिस्सा बनता है. हे प्रभु, इसे ही मुझे दे दो. चाहो तो इसमें से 5000 रूपये अपना कमीशन भी रख लेना. मुझे 40000 रूपये भी मंज़ूर होंगे प्रभु. हे प्रभु, केवल अंबानी का ही नहीं, मेरा भी ख्याल रखो. आपके वादों पर मैंने भी अपना एक वोट आपके चरणों को समर्पित किया है.

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