Saturday 25 July 2015

त्रिवेदीजी, बहुत सस्ते में टिकट मिली भाई आपको...!!!


रायपुर के एक नागरिक-यात्री एन. त्रिवेदी की शिकायत है कि रायपुर-पुणे की तत्काल टिकट डायनामिक प्राइसिंग के कारण उन्हें 1793 रूपये में मिली, जबकि नार्मल तत्काल का किराया 690 रूपये ही है. लेकिन त्रिवेदीजी बड़े भाग्यशाली हैं कि उन्हें बड़े सस्ते में टिकट मिल गई. यदि वे और थोड़ी देरी करते, तो उन्हें यह टिकट 5000 रूपये में भी मिल सकती थी...यानी जितने पैसे उन्होंने 3 टिकटों के लिए दिए हैं.
असल में मोदी-गौड़ा ने तत्काल के लिए जो नियम निर्धारित किये हैं,उसके अनुसार डायनामिक प्राइसिंग के अंतर्गत आने वाले तत्काल कोटे की हर 10% सीटों पर 20% किराया बढ़ना है. याने, अब उपलब्ध कुल सीटों को 10 भागों में बांटा जायेगा और हर भाग की सीटें पहले के भाग की कीमतों से 20% अधिक दाम पर बेचीं जाएगी. चक्रवृद्धि ब्याज का फार्मूला लागू करने से ही आपको पता चल जायेगा कि अंतिम सीट किसी यात्री को 6 गुना से ज्यादा कीमत पर ही मिलेगी.
सूत्र यह है : M = P (1 + r/100) घात n यहां r =20, n = 10 रखने पर
M = 6.2 P .....याने मूल नार्मल तत्काल का 6.2 गुना.
यदि किसी पाठक-मित्र को यह फार्मूला समझ में नहीं आ रहा है, तो इसे यों समझें :
मान लीजिये, डायनामिक प्राइस के अंतर्गत 10 सीटें उपलब्ध है, तो हर सीट पर किराया 20% बढ़ जायेगा. तो अंतिम 10वीं सीट पर किराया इस प्रकार बनेगा, यदि नार्मल तत्काल किराया 690 रूपये हैं :
सीट क्र. .......20% वृद्धि के साथ किराया.......... क्र. .....20% वृद्धि के साथ किराया
1 ................830 .....................................6 .............2070
2 ................995......................................7 .............2485
3 ..............1195................ .....................8 .............2985
4 ..............1435 .....................................9 ..............3585
5 ..............1725....................................10 ..............4300
उक्त किराया 5 के गुणांकों में लिया गया है. अंतिम सीट पर किराया नार्मल तत्काल किराये का 6.2 गुना देना पड़ेगा और इस पर दूसरे टैक्स और लगाये जायेंगे.
इस फार्मूले के साथ ही फेंकू महाराज ने एक और नियम लागू किया है कि तत्काल टिकट 500 किमी. से कम दूरी के लिए नहीं मिलेगी. पहले यह दूरी 200 किमी. थी. याने यदि आपको रायपुर से नागपुर जाना है, तो भोपाल तक की टिकट तो खरीदनी ही पड़ेगी.
इस गणित को जानकर मेरे एक मित्र ने कहा कि उसे चक्कर आ रहा है. भाई साहब, फेंकू महाराज आम जनता को विमान में भले ही ना बैठा सकें, लेकिन उसे हवाई चक्कर तो खिला ही सकता है !!!

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