Saturday 25 July 2015

भाजपा बनाम कांग्रेस : तू-तू , मैं-मैं --- एक विकास विमर्श


--- हमारे राज के भ्रष्टाचार के खिलाफ मत बोलो , क्योंकि तुम्हारे राज में भी तो भ्रष्टाचार हुआ था . हमारे राज में राशन घोटाला हुआ है , तो तुम्हारे राज में भी तो चारा और टाटपट्टी घोटाला हुआ था . तुम कौन-से दूध के धुले हो ?
--- खरबों का भ्रष्टाचार करने वालों को अरबों के घोटाले पर बात नहीं करना चाहिए . ऐसा करना अनैतिक है 
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--- अनैतिक तो तुम्हारी सरकार थी , हमारी सरकार के पास तो नैतिकता का बल है . तुम्हारे पास बहुमत नहीं था , फिर भी भ्रष्टाचार करते रहे . हमारे पास स्पष्ट बहुमत है ... और अनैतिक बातों को हम सहन नहीं करेंगे
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--- हमने भ्रष्टाचार किया , तो किया ; लेकिन इससे तुम्हें भ्रष्टाचार करने का अधिकार मिल जाता है क्या ? हमने भ्रष्टाचार किया , सो जनता ने हमें सजा दे दी . विपक्ष में बैठकर बुरे दिन तो देख ही रहे है . लेकिन जनता ने हमें अब भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी सौंपी है , सो इसे उजागर करने में अनैतिकता कैसी ?
--- अरे ! हम भ्रष्टाचार करेंगे , तभी तो तुम जनता द्वारा सौपी गई अपनी जिम्मेदारी पूरी करोगे ? इसलिए हमें भी अपनी जिम्मेदारी पूरी करने दो .
--- हमारे भ्रष्टाचार के खिलाफ तुम राष्ट्रपति के पास गए थे , तो तुम्हारे भ्रष्टाचार के खिलाफ हम राज्यपाल के पास तो जा ही सकते हैं .
--- अरे यार , सबको मालूम है , कोई हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता .
--- ....लेकिन यार , जनता के बीच नूरा-कुश्ती खेलकर बेवकूफ तो बनाया ही जा सकता है.
--- हाँ , हां , तू-तू , मैं-मैं बंद करें ...और आओ , दोनों मिलकर भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार खेलें .
--- नहीं , नहीं , विकास-विकास खेलते हैं . देश-प्रदेश के विकास के लिए पक्ष-विपक्ष दोनों का साथ जरूरी है...
--- ठीक है , मैं सड़क बनाता हूं , तू डामर खा . मैं नहर बेचता हूं , तो तू भी पानी बेच . मैं बाँध बनाने का आर्डर देता हूं , तू ठेका ले . मैं पेट्रोल-डीजल की कीमत बढाता हूं , तू बस किराया बढ़ा . तू जंगल काट , मैं जमीन हड़प करता हूं . मैं विकास- विकास चिल्लाता हूं , तू भी भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार चिल्ला .
--- ठीक है , विकास-विकास खेलें और भ्रष्टाचार को पालें-पोसें .
--- हां , सब मिलकर बोलें : भ्रष्टाचार ही विकास की कुंजी है .

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