Saturday 25 July 2015

सड़क की सफाई करने से पहले अपने मन की सफाई जरूरी

हमें संघी गिरोह के स्वच्छता अभियान से कोई बैर नहीं है. बैर तो कांग्रेस के अभियान से भी नहीं था, जो 2 अक्टूबर को झाड़ू हाथ में लेकर निकलती थी और कैमरों के फ़्लैश चमकने के साथ ही गायब हो जाती थी. उन्होंने भी गांधीजी को सफाई कर्मचारी में ही बदल दिया था. उन्हें भी गांधीजी की सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता से कोई लेना-देना नहीं था. यदि उन्हें देश और गांधीजी के प्रति थोड़ी भी श्रद्धा होती, तो बाबरी मस्जिद नहीं टूटती. इसलिए संघी गिरोह भी गांधीजी के नाम पर कुछ नाटक कर रहा है, तो यह तो उनका अधिकार बनता भी है. आखिर इस देश की ही जनता ने उन्हें चुनकर सत्ता में भेजा जो है !!
लेकिन संघियों, इस देश में दो-तिहाई लोग तुम्हारे विपक्ष में भी है, जिन्हें नाटक को नाटक कहने का अधिकार है. तुममें हिम्मत है, तो उनके सवालों के तर्कपूर्ण जवाब दो, गाली-गलौज मत करो.
यह किसी से छुपा नहीं है कि गांधीजी स्वच्छता-पसंद व्यक्ति थे, लेकिन वैसी स्वच्छता के नहीं, जैसी सत्ता में आते ही साथ तुमने पीएमओ की सफाई करके दिखाई है. इस सफाई अभियान में तुमने गांधीजी की हत्या, जिसे तुम बड़े गर्व से गाँधी-वध बताते हो, की फ़ाइलें भी साफ़ कर दी है. गांधीजी की सफाई कोई इवेंट नहीं था और न ही हाथ में झाड़ू लेकर उन्होंने कभी फ़्लैश चमकवाने का काम किया था. गांधीजी अपने हाथ से अपना शौचालय साफ़ करते थे और कल और आज जिन मंत्रियों के हाथों में झाड़ू थी, उनके शौचालय आज के दिन भी ' भंगियों ' ने ही साफ़ किये होंगे.
फेंकू महाराज, इस देश के सफाईकर्मियों की तुमको चिंता होती, तो वर्क-लोड बढ़ने के बावजूद उनकी संख्या कम नहीं होती और न ही उन्हें निजीकरण की वेदी पर बलि चढ़ाया जाता. इस देश के दलित आज सवर्ण ठेकेदारों की दया पर निर्भर होकर रह गए हैं और न्यूनतम मजदूरी से भी वंचित हैं. इन्हें स्थायी कर सम्मानजनक जीवन देने की तुमको कोई चिंता नहीं हैं. तुम्हारा संघी गिरोह आरक्षण का घोर विरोधी है, लेकिन मैला ढोने के काम में 100% आरक्षण दलितों के लिए ही है, तो क्यों ?
लेकिन गांधीजी केवल बाहरी सफाई के ही नहीं, अंदर की सफाई -- मन की सफाई -- पर भी जोर देते थे, इसीलिए सद्भाव और धर्म-निरपेक्षता उनका जीवन मन्त्र था, लेकिन सभी जानते हैं कि संघी गिरोह के मन में कितना मैल भरा हुआ है. तुम तो इस देश के गैर-हिन्दुओं को इस देश का नागरिक मानने के लिये तैयार नहीं हो. अपने मन के मैल की ही सफाई कर लेते प्यारों, तो कोई बाबरी मस्जिद नहीं टूटती और न गुजरात के दंगे होते, न हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश के. आज ही बड़ोदरा दंगे की आग से झुलस रहा है.
गांधीजी के विचारों के प्रति तुम कितने समर्पित हो, यह पूरा देश जनता है !! आज उनको जयंती पर तुमने उन्हें कैसी श्रद्धांजलि दी है, एक दूसरे पोस्ट में बता रहा हूं. इसीलिए गांधीजी का नाम रटने से और आज के दिन झाडू हाथ में लेकर सफाई का दिखावा करने से तुम्हारा साम्प्रदायिक दंगाई चेहरा बदल नहीं जाने वाला है. सड़क की सफाई करने से पहले अपने मन की सफाई कर लेते, तो इस देश का कुछ भला होता !!!!

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