Saturday 25 July 2015

गरीबों के मोदी और मोदी की ' गरीबी रेखा '


याद है आपको, जब मौनी बाबा के योजना आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में गरीबी रेखा के संबंध में हलफनामा दिया था, तो भाजपा और संघी गिरोह ने कितना विधवा-विलाप किया था? अब रंगराजन समिति ने इस संबंध में अपनी नयी रेखा मोदी सरकार को सौंप दी है, जिसके अनुसार ग्रामीण इलाकों में 32 रूपये तथा शहरी इलाकों में 47 रूपये प्रतिदिन प्रति व्यक्ति से ज्यादा कमाने वाला गरीब नहीं माना जायेगा....और ऐसे लोगों की संख्या हमारे देश में 36.3 करोड़ से ज्यादा है -- याने हमारी आबादी का 30% से ज्यादा. मजे की बात यह है कि रंगराजन समिति की इस सिफारिश को मोदी सरकार ने स्वीकार कर लिया है.
1973-74 में योजना आयोग ने औसत कैलोरी पोषण आहार के आधार पर ग्रामीण इलाकों के लिए 49.09 रूपये तथा शहरी इलाकों के लिए 56.64 रूपये प्रति व्यक्ति प्रति माह की गरीबी रेखा तय की थी. यदि औसत 10% की वार्षिक मुद्रा-स्फीति की दर ही मान ली जाएं, तो वर्ष 2014 में यह रेखा क्रमशः 2220 रूपये तथा 2560 रूपये प्रति व्यक्ति प्रति माह बैठेगी. इन 40 सालों में इतनी महंगाई बढ़ गई, मंत्रियों-संत्रियों और सरकारी कामचोरों की कई गुना तनख्वाह बढ़ गई, ठेकेदारों और राजनेताओं की संपत्तियों में सैंकड़ों गुना वृद्धि हो गई...लेकिन गरीबी नापने का पैमाना नीचे-से-नीचे खिसककता गया. मोदी और रंगराजन के अनुसार, गरीबों को गांवों और शहरों में जिन्दा रहने के लिए क्रमशः 972 रूपये और 1407 रूपये पर्याप्त है....और इस राशि में पोषण आहार के साथ ही गैर खाद्य आइटम तथा कपड़ा, मकान, परिवहन व शिक्षा का खर्च भी शामिल है.
रंगराजन समिति का आंकलन और 1973-74 में योजना आयोग के आंकलन के आधार पर जो वास्तविक प्रक्षेपित गरीबी रेखा बनती है, उसका चार्ट मैं नीचे दे रहा हूं. इस वास्तविक आंकलन में गैर-खाद्यान्न मदों पर जो खर्च है, उसे पोषण आहार के रंगराजन समिति द्वारा तय प्रतिशत के अनुपात में ही प्रक्षेपित किया गया है.
...............1.-रंगराजन समिति का आंकलन .......... 2- प्रक्षेपित आंकलन
.......................1-ग्रामीण............... 2-शहरी ......... 3-ग्रामीण..... 4-शहरी
1- पोषण-आहार .....554 ............... 656.................2220.......... 2560
2- कपड़ा, शिक्षा, ....141(25.5%)... 407(62%)........565...........1588
मकान व परिवहन आदि
3- गैर-खाद्य आहार..277(50%)...... 344(52.4%)...1110 ..........1342
----------------------------------------------------------------------------------------
कुल (रूपये में).......972 ................1407............... 3895.......... 5490
----------------------------------------------------------------------------------------
तो भारत सरकार के आंकड़ों के ही अनुसार गरीबी रेखा का प्रक्षेपित आंकलन ग्रामीण व शहरी भारत के लिए क्रमशः 3895 रूपये और 5490 रूपये होता है. इसका मतलब है कि देश की 80% आबादी वास्तव में गरीबी रेखा के नीचे ही जी रही है, लेकिन मोदी इसे मानने के लिए तैयार नहीं है. स्पष्ट है कि रंगराजन समिति के साथ मिलकर मोदी सरकार देश की जनता के साथ धोखाधड़ी कर रही है.
एक औसत भारतीय परिवार में 4-5 लोग होते हैं. अब यदि न्यूनतम मजदूरी 15000 रूपये प्रति माह की मांग की जा रही है, तो इसमें गलत क्या है?....लेकिन मोदी अपनी 'गरीबी रेखा ' से टस-से-मस नहीं होने जा रहे हैं.

No comments:

Post a Comment