Saturday 25 July 2015

तो यह है संघी गिरोह का हिन्दू-राष्ट्र!!

इस देश की आबादी यदि 120 करोड़ की आबादी में यदि 85 करोड़ हिन्दू हैं, तो 35 करोड़ गैर-हिन्दू भी हैं. इस देश का इतिहास विभिन्न धर्मों के अनुयाइयों के बीच हिंसक लड़ाइयों का रहा है, तो एक ही धर्म के मानने वाले भिन्न-भिन्न सम्प्रदायों के बीच हिंसक लड़ाईयों का भी है. लेकिन इन सबके बीच सांप्रदायिक सौहार्द्र और धर्मनिरपेक्षता ही फलती-फूलती रही है. यही कारण है कि इस देश में न बहुसंख्यक कभी अल्पसंख्यक हो पाए और न कभी अल्पसंख्यकों को यहां का बहुसंख्यक कभी निगल पाया, इसके बावजूद कि ऐसा करने-कहने वाले सिरफिरों की कभी कमी नहीं रहीं.
आज भी कमी नहीं है. धर्म जागरण मंच के नाम पर काम करने वाले संघी गिरोह के एक पट्ठे ने तो घोषणा ही कर दी है कि साल 2021 तक इन 35 करोड़ लोगों को हिन्दू ही बना देगा--याने हर साल 5 करोड़, हर रोज़ 1.37 लाख लोगों को धर्मान्तरित किया जायेगा. आज संघी गिरोह अपने इसी काम को आसन बनाने के लिए धर्मांतरण कानून बनाने की बात कह रहा है.
संघी गिरोह की इस मंशा को उनके वैचारिक गुरु गोलवलकर के शब्दों में ही समझा जा सकता है. गोलवलकर के अनुसार-- "विदेशी नस्लों (--यानि गैर-हिन्दुओं) को हिन्दू संस्कृति व भाषा को अपनाना होगा, उन्हें हिन्दू धर्म का सम्मान करना तथा उसके प्रति श्रद्धा रखना सीखना होगा, उन्हें हिन्दू नस्ल व संस्कृति-- अर्थात् हिन्दू राष्ट्र के गौरवान्वयन को छोड़कर और कोई विचार अपने मन में नहीं लाना चाहिए, उन्हें हिन्दू नस्ल में अपने अलग अस्तित्व को समाहित करना होगा, वे कोई दावा नहीं कर सकते, किसी सुविधा की मांग नहीं करेंगे, उन्हें किसी भी प्रकार के विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होंगे-- यहां तक कि नागरिक अधिकार भी."
तो यह है संघी गिरोह का हिन्दू-राष्ट्र!! अब आप समझ ही सकते हैं कि इस देश के एक प्रधानमंत्री की हैसियत से फेंकू महाराज देश के सामने धर्मांतरण पर अपने 'पवित्र' विचारों को क्यों नहीं रखना चाहते?

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